दोस्तों शेयर में वॉल्यूम (Volume) का मतलब क्या होता है? अपने शेयर मार्केट में वॉल्यूम का नाम तो बहुत सुना होगा। लेकिन क्या आपको पता है की शेयर का प्राइस जो ऊपर-नीचे जाता है इस वॉल्यूम की वजह से ही जाता है। जिसका पता लगा कर और एनालिसिस करके हम शेयर को खरीद और बेच सकते है। शेयर मार्केट एक ऐसी जगह है, जहाँ पर कई प्रकार की कंपनियों के लाखो करोड़ो की मात्रा में शेयरों को खरीदा और बेचा जाता है। जिस से निवेशक और व्यापारियों बीच का लेन देन चलता रहता है।
दोस्तों शेयर मार्केट में निवेश करते समय एक बहुत ही अहम भूमिका निभाता है और वो है वॉल्यूम (Volume) जिसको समझना हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। आइए अब हम समझते है की शेयर में वॉल्यूम (Volume) का मतलब क्या होता है?
शेयर में वॉल्यूम (Volume) का मतलब:
दोस्तों वॉल्यूम का अर्थ होता है मात्रा, यानि कुल संख्या। शेयर मार्केट में वॉल्यूम, शेयर के खरीदने और बेचने की मात्रा को दिखाता है जिससे पता चलता है की एक निश्चित समय में कितने शेयर ख़रीदे और बेचे गए है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण आंकड़ा है जो बाजार में निवेशक को बाजार की स्थिति को देखने और समझमे में मदद मिलती है। जिससे वो पता लगा सकते है की शेयर का प्राइस किस ओर जा सकता है।
इसको सरल भाषा में बोले तो किसी स्टॉक में होने वाली खरीद और विक्री की मात्रा (कुल संख्या -वॉल्यूम ) को वॉल्यूम कहते है।
एक उदहारण से समझे :
दोस्तों यहाँ पर मैं आपको थोड़ा सा उदारण के तौर पर समझाना चाहता हूँ। अगर मै आपसे पुछू की जो राम ने टाटा मोटर्स के 500 शेयर ख़रीदे थे वो श्याम ने 500 शेयर बेचे थे तो इन दोनों सौदे के बाद स्टॉक का ट्रेड वॉल्यूम (volume) कितना होना चाहिए।
बहुत से मेरे भाई लोगो का जवाब होगा, 500 शेयर ख़रीदे थे 500 बेच दिए, इसका मतलब वॉल्यूम 1000 होगा, जो की बिलकुल गलत है।
सही जवाब ये है कि राम ने 500 शेयर कितनी संख्या में ख़रीदे बेचे गए तो ध्यान से देखने पर पता लगता है की श्याम ने 500 शेयर बेचे और राम ने वही 500 शेयर ख़रीदे और इसलिए शेयर का वॉल्यूम तो 500 ही हुआ ना।
क्योकि देखा जाये तो 500 शेयर ही इधर से उधर हुए है, न की 1000
शेयर मार्केट में वॉल्यूम कैसे बढ़ता है।
स्टॉक मार्केट में वॉल्यूम तेजी (Bullish) और मंदी (Bearish) दोनों में बढ़ सकती है।
ध्यान दीजिए कि मार्केट में किसी स्टॉक में मंदी हो या तेजी, दोनों ही अवस्थाओं में स्टॉक का वॉल्यूम बढ़ सकता है।
अगर मंदी (Bearish Market) में वॉल्यूम बढ़ता है, इसका मतलब ज्यादा से ज्यादा लोग उस स्टॉक को बेचना चाहते है और अगर तेजी (Bullish Market) में वॉल्यूम बढ़ता है तो इसका मतलब है कि उस स्टॉक को ज्यादा से ज्यादा लोग खरीदना चाहते है।
शेयर मार्केट में वॉल्यूम (Volume) कितने तरह की होती है ?
दोस्तों शेयर मार्केट में वॉल्यूम दो तरह की होती है। अपने यह नाम सुन भी रखा होगा। जी हाँ यह दो तरह की होती है।
- डिलीवरी वॉल्यूम
- ट्रेडेड वॉल्यूम
डिलीवरी वॉल्यूम (Delivery volume) को टोटल वॉल्यूम और इंट्राडे वॉल्यूम को घटाकर प्राप्त किया जाता है | अगर यह आपको हर बार बढ़ता दिखे इसका मतलब है की निवेशकों की इसमें ज्यादा रूचि है।
अगर आप लम्बे समय के लिए किसी शेयर में निवेश करना चाहते हो तो आपको हमेशा उस शेयर में डिलीवरी वॉल्यूम (Delivery Volume) की ओर नज़र रखनी है। क्योकि लम्बे समय में ये शेयर की मजबूती को दिखता है। जिससे पता लगा सकते है की शेयर को लोग कितनी डिलीवरी पर उठा रहे है।
ट्रेडेड वॉल्यूम (Traded Volume) यह दिनभर में कितने शेयरों को ख़रीदा या बेचा गया है यानि ट्रेड किया गया है उन स्टॉक्स की संख्या को दिखाता है। यह स्टॉक्स के डिमांड और सप्लाई को दर्शाता है।
कम ट्रेडेड वॉल्यूम वाले स्टॉक्स को इलिक्विड स्टॉक्स कहा जाता है, जब किसी स्टॉक में ट्रेड वॉल्यूम कम होता है तो स्टॉक खरीदने और बेचने वालो में अंतर ज्यादा होता जिस कारण स्टॉक में ट्रेड होने में मुश्किल बढ़ जाती है। जिस कारण से स्टॉक में इल्लिक्विडीटी होने से इसे खरीदना और बेचना मुश्किल हो जाता है।
हम शेयर में वॉल्यूम (Volume) को कहा पर देख सकते है।
दोस्तों अगर हम बात करे ब्रोकर प्लेटफार्म की तो कैंडलस्टिक चार्ट के द्वारा वॉल्यूम को दिखते है।
चार्ट में हरे रंग का जो बार होता होता वो शेयर की खरीदने की वॉल्यूम को दिखाता है और जो लाल रंग का बार होता है वो बेचने की वॉल्यूम को दिखाता है।
अलग-अलग Time period के अनुसार अलग वॉल्यूम चार्ट्स होते हैं जैसे; 15 मिनट, hourly volume charts, daily, monthly etc.
वॉल्यूम कितनी जरुरी है
वॉल्यूम शेयर मार्केट में एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है जो निवेशकों को बाजार की स्थिति को समझने में मदद करता है। यह निवेशकों को बताता है कि एक स्टॉक में जो मूवमेंट हो रही है यानि स्टॉक ऊपर नीचे मूव कर रहा है जिससे पता लगता है की कितनी मात्रा खरीदी और बेचीं जा रही है और कौन से स्तर पर बाजार में गतिविधि हो रही है।
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लिक्विडिटी का माप:
वॉल्यूम से निर्धारित होता है कि एक स्टॉक कितना लिक्विड है, यानी उसे बाजार में कितनी आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। जब वॉल्यूम बड़ता है, तो स्टॉक की लिक्विडिटी भी बढ़ती है और इससे निवेशकों को अधिक विकल्प मिलते हैं।
बुल (Bull) और बेयर (Bear) मार्केट की पहचान
शेयर में वॉल्यूम (Volume) के बढ़ने या घटने से बुल और बेयर मार्केट की पहचान हो सकती है। बड़े वॉल्यूम के साथ तेजी में बाजार में बढ़ोतरी हो सकती है, जबकि छोटे वॉल्यूम के साथ मंदी का संकेत हो सकता है।
निवेशकों की रणनीति
वॉल्यूम को देख कर निवेशक शेयर मार्केट में अपनी रणनीति को समय से बदल सकते है। जिससे उनको किसी स्टॉक को खरीदना और बेचना आसान हो जाता है अगर किसी स्टॉक का वॉल्यूम बढ़ रहा है तो उसमें रुचि बनी है और उन्हें अपनी रणनीति को समीक्षा करने की जरूरत हो सकती है।
निष्कर्ष
शेयर में वॉल्यूम (Volume) एक महत्वपूर्ण आंकड़ा है जो निवेशकों को बाजार की स्थिति को समझने में मदद करता है। इससे लिक्विडिटी का माप होता है, बुल और बेयर मार्केट की पहचान होती है और निवेशकों को उनकी रणनीति बनाने का मौका मिलता है। इसलिए, वॉल्यूम को समझकर निवेशक अपनी निवेश नीति को और भी सुरक्षित बना सकते हैं और बाजार की दिशा में बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
मैं आशा करता हूँ की आपको ये पोस्ट पसंद आया होगा। आपको वॉल्यूम क्या होता है इसके बारे में पता लगा होगा। तो मिलते अगले पोस्ट में कुछ और सवाल के साथ।