सरकारी सिक्योरिटीज (Govt. Securities) क्या होती है? G-Sec and T-Bill-जानिये Easy भाषा में

हेलो दोस्तों मेरे नए पोस्ट में आपका स्वागत है। दोस्तों आज हम बात करने वाले है की सरकारी सिक्योरिटीज (Government Securities) क्या होती है। यह कैसे काम करती है? क्या इसको हम लोग खरीद सकते है? क्या ये रिस्क फ्री है? अगर रिस्क फ्री है तो कितनी? तो आईये इन सब सवालो के जबाब इस पोस्ट में माध्यम से जानते है।

दोस्तों पहले सरकारी सिक्योरिटी जिसको हम जी-सेक (G-Sec) भी कहते है में केवल बैंक और बड़े-बड़े फाइनेंसियल संस्थान ही निवेश कर सकते थे। लेकिन अब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने आरबीई के साथ मिलकर रिटेल निवेशक यानि हम जैसे लोगो के लिए जी-सेक में, मुख्य रूप से लॉन्ग डेटेड (Long Dated) बांड्स और ट्रेजरी बिल (T-Bill) में निवेश करने का मौका दिया है।

जिससे एक रिटेल निवेशक भी इस से मिलने वाले लाभ का फायदा उठा सकता है। लेकिन दोस्तों आपको इसका फायदा उठाने के लिए इसको विस्तार से समझना होगा। तो बिना समय ख़राब किये आपको विस्तार से समझने में मदद करते है।

सरकारी सिक्योरिटीज (G-Sec) क्या होती है।

दोस्तों जब सरकार को अपनी फाइनेंसियल जरूरतों को पूरा करना होता है यानि जब सरकार कहीं पर सड़क बनवाती है, कहीं पर पुल या कोई सरकारी ईमारत आदि बनवाती है तो सरकार को पैसो की कमी हो जाती है तो वो अपने बैंक RBI (Reserve Bank of India)) के पास कर्ज लेने के लिए जाती है।

RBI सरकार के इस कर्ज को जुटाने के लिए “सरकारी बांड्स या ट्रेजरी बिल (T-Bill)” के रूप में नीलाम करता है। जिसको रिटेल निवेशक यानि आप और मै खरीद सकते है। तो इस प्रकार सरकार जो कर्ज ले रही है, उस कर्ज में आप भी हिस्सेदारी ले रहे हो और कर्ज का कुछ हिस्सा आप सरकार को दे रहे हैं।

सरकार इस कर्ज के बदले आपको हर कुछ समय पर एक निश्चित ब्याज देने का वादा करती है और एक तय समय के बाद आपका मूलधन (Principal) आपको वापस करती है।

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सरकारी सिक्योरिटीज (G-Sec) के प्रकार

दोस्तों सरकारी सिक्योरिटीज दो प्रकार की होती है एक तो बॉन्ड्स और दूसरा ट्रेजरी बिल इसको टी-बिल (T-Bill) भी कहते है।

ट्रेजरी बिल (T-Bill) क्या होता है

सरकारी सिक्योरिटीज में सरकार ट्रेजरी बिलो को सरकार RBI की मदद से मार्केट में उतारती है। ट्रेजरी बिलो को उसकी वास्तविक कीमत से कम कीमत पर मार्केट में लांच किया जाता है यानि की वास्तविक (Actual) कीमत से थोड़ा छूट (डिस्काउंट) पर लांच किया जाता है जिसको हम PAR कीमत भी कहते है। और जब इसका समय पूरा हो जाता है तो हमको इसकी वास्तविक कीमत मिल जाती है। डिस्काउंट कीमत और वास्तविक कीमत के बीच जो अंतर होता है वही हमारा रिटर्न होता है।

आईये अब ट्रेजरी बिल (T-Bill) को एक उदहारण से समझते है।

दोस्तों मान लो के सरकार कोई टी-बिल लांच करती है जिसकी वास्तविक कीमत (Actual Price) है 100 रूपए है लेकिन सरकार उसको कम कीमत पर या हम कह सकते है डिस्काउंट पर लांच करती है और कम कीमत का मुल्ये है 95 रूपए जिसको हम खरीद लेते है।

अब जब इसका टाइम (Maturity period) पूरा हो जाने पर हम इसको बेचते है तो सरकार आपको वास्तविक कीमत देगी जोकि 100 रूपए है। तो आपने यहाँ 5 रूपए की कमाई की है

यह इसी प्रकार है मानो आपने कोई शेयर 95 पर ख़रीदा और उसको 100 में बेच दिया। लेकिन इन दोनों में अंतर सिर्फ यही है की ये जो टी-बिल है सरकारी सिक्योरिटीज द्वारा जारी किया गया यह एक पक्का और गारंटी वाला सौदा है।

ट्रेज़री बिल (T-Bill) कितने प्रकार के होते है या कितने दिनों के लिए किये जाते है?

दोस्तों अगर हम बात करे तो टी-बिल को चार भागो में बांटा जाता है इनको चार समयावधि के अनुसार मार्केट में सरकार लॉन्च करती है।

14 दिन का ट्रेजरी बिल (T-Bill)

इस बिल के जारी होने की तारीख से 14 दिन बाद आप इसको बेच सकते है। बुधवार को सरकार इसकी नीलामी करती है यानि बुधवार को हम इस पर बिड लगा सकते है। और ये हमें अगले शुक्रवार को मिलता है। सरकार इसकी नीलामी हर हफ्ते करती है। ये बिल 1 लाख रूपए के लॉट में बेचे जाते है। इस अवधि के टी-बिल में निवेश करने के लिए कम से कम 1 लाख रूपए की धनराशि चाहिए होती है।

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91 दिन का ट्रेजरी बिल

इस बिल के जारी होने की तारीख से 91  दिन बाद आप इसको बेच सकते है। बुधवार को सरकार इसकी नीलामी करती है यानि बुधवार को हम इस पर बिड लगा सकते है। और ये हमें अगले शुक्रवार को मिलता है। सरकार इसकी नीलामी हर हफ्ते करती है। ये बिल 25000 रूपए के लॉट में बेचे जाते है। इस अवधि के टी-बिल में निवेश करने के लिए कम से कम 25000 रूपए की धनराशि चाहिए होती है।

182 दिन का ट्रेजरी बिल

इस बिल के जारी होने की तारीख से 182 दिन बाद आप इसको बेच सकते है। बुधवार को सरकार इसकी नीलामी करती है यानि बुधवार को हम इस पर बिड लगा सकते है। और ये हमें अगले शुक्रवार को मिलता है। सरकार इसकी नीलामी हर दूसरे हफ्ते में करती है। ये बिल 25000 रूपए के लॉट में बेचे जाते है। इस अवधि के टी-बिल में निवेश करने के लिए कम से कम 25000 रूपए की धनराशि चाहिए होती है।

364 दिन का ट्रेजरी बिल

इस बिल के जारी होने की तारीख से 364 दिन बाद आप इसको बेच सकते है। बुधवार को सरकार इसकी नीलामी करती है यानि बुधवार को हम इस पर बिड लगा सकते है। और ये हमें अगले शुक्रवार को मिलता है। सरकार इसकी नीलामी हर दूसरे हफ्ते में करती है। ये बिल 25000 रूपए के लॉट में बेचे जाते है। इस अवधि के टी बिल में निवेश करने के लिए कम से कम 25000 रूपए की धनराशि चाहिए होती है।

दोस्तों जैसा के हमने ऊपर बताया है की इन बिलो के समय की अवधि एक समान रहती है जबकि इसके अंकित मूल्ये और डिस्काउंट प्राइस में समय समय पर बदलाव होते रहते है।

सरकारी सिक्योरिटीज के अंदर इन टी-बिलो के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने एक कैलेंडर जारी किया है। इस कैलेंडर में आप नीलामी की सही तारीख, नीलामी का मूल्ये, और नीलामी से पहले परिपक्वता/Maturity (यानि जब टी बिल का बेचने का समय पूरा होता है) की तारीखों की घोषणा करता है।

सरकरी बॉन्ड (Government Bond)

दोस्तों सरकारी सिक्योरिटीज में सरकारी बॉन्ड, टी-बिल से दो चीजों में अलग होता है। पहला यह की बॉन्ड की मैच्योरिटी का समय लम्बा होता है और दूसरा इसमें साल में दो बार ब्याज मिलता है।

सरकार के द्वारा जारी किया गया बॉन्ड का एक अलग नाम होता है या एक अलग निशान (Symbol) होता है। इसके इस निशान में बॉन्ड की सारी जानकारी होती है।

चलो एक उदहारण के तौर पर समझते है। जैसे किसी बॉन्ड का निशान है 730GS2030

इसका क्या मतलब है जानिये –

वार्षिक ब्याज दर –7.30%

प्रकार – सरकारी सिक्योरिटीज (G-Sec)

मैच्योरिटी –  2030 (यानि आज से 6 साल बाद अभी ये 2024 चल रहा है)

ये बॉन्ड 2030 में पूरा हो जायेगा यानि ख़तम हो जायेगा। अगर आप इस बॉन्ड में निवेश करते है तो आपको 2030 तक हर साल 7.30% का ब्याज मिलेगा। यहाँ पर आपको ध्यान देने वाली बात यह है की आपको इस ब्याज (7.30%) का आधा हिस्सा 6 महीने में और आधा साल में, मतलब 3.65% ब्याज हर साल में दो बार मिलेगा। और जब ये 2030 में मैच्योर होगा तब आपको मूलधन (Principal) वापस मिल जायेगा।

क्या सरकारी सिक्योरिटीज रिस्क फ्री है?

दोस्तों अगर हम बात करे इनके रिस्क की तो पहले ये जान लें।

अगर हम निवेश की बात करे तो दुनिया भर के विकल्पों में से एक विकल्प सरकारी सिक्योरिटी भी है। इनको निवेश के लिए बहुत सुरक्षित माना जाता है। इसका यही कारण है की इसमें सरकार की गारंटी होती है क्योकि इसमें एक निश्चित ब्याज मिलता ही मिलता है।

तो दोस्तों अब आप समझ गए होंगे की ये रिस्की है या रिस्क फ्री है।

सरकारी सिक्योरिटीज के फायदे

  • यह बैंको की FD से ज्यादा सुरक्षित मानी जाती है, क्योकि इसके पीछे भारत सरकार होती है। और गारंटी भी होती है।
  • इसमें होने वाली कमाई (रिटर्न) और मूलधन (प्रिंसिपल) दोनों पर सरकार की गारंटी होती है।
  • इसमें FD की तरह TDS नहीं कटता हैं।
  • दोस्तों सरकारी सिक्योरिटी की मचौरिटी (यानि बेचने का समय) का समय लम्बा होने के कारण इस पर हमको अच्छा ब्याज लम्बे समय तक मिलता रहता है।
  • इसको आप किसी दूसरे बाजार (सेकंडरी मार्केट) में भी बेच सकते है।

निष्कर्ष

दोस्तों जरुरी नहीं के हम शेयर मार्केट में स्टॉक में ही निवेश करे। हम इस तरह की सरकारी सिक्योरिटीज में भी निवेश कर सकते है और लम्बे समय में अच्छी कमाई कर सकते है। यह एक तरह से सुरक्षित निवेश माना जाता है।

मैं आशा करता हूँ की आपको मेरे द्वारा दी गयी जानकारी अच्छी लगी हो। आपका दिन शुभ हो।

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मेरा नाम विनय है और मुझे शेयर बाजार में चार साल से अधिक का अनुभव है। मैं एक निवेशक, ट्रेडर और HowtoNivesh.com का Author & Founder हूँ । इस वेबसाइट के द्वारा आपको शेयर बाजार को समझने में मदद मिलेगी और आप अपने financial लक्ष्यों को पूरा कर सकेंगे। इस वेबसाइट में दी गयी सारी जानकारी केवल शिक्षा के लिए है।

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